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वक्फ संशोधन कानून 2025: क्या बदला है, कैसे होगा लागू, राज्यों की क्या भूमिका होगी?

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KKN गुरुग्राम डेस्क | राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब कानून बन चुका है। यह कानून वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता, दुरुपयोग की रोकथाम, और कानूनी स्पष्टता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। लंबे समय से वक्फ बोर्डों की अनियंत्रित शक्तियों, अस्पष्ट दावों, और भूमि विवादों को लेकर विवाद खड़े होते रहे हैं।

इस संशोधित कानून की सबसे बड़ी जिम्मेदारी अब राज्य सरकारों पर है, क्योंकि भूमि का विषय संविधान के अनुसार राज्यों के अधीन आता है।

वक्फ क्या होता है?

वक्फ का मतलब है किसी चल या अचल संपत्ति को स्थायी रूप से धार्मिक या समाजसेवा के लिए दान करना, जिसे इस्लाम में पुण्य कार्य माना जाता है। वक्फ संपत्तियों की आमदनी से मस्जिदों, कब्रिस्तानों, स्कूलों, अस्पतालों और समाज के कमजोर वर्गों की सहायता की जाती है।

लेकिन हाल के वर्षों में वक्फ बोर्डों द्वारा निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने, पुराने मंदिरों और गांवों पर दावा ठोकने जैसे विवाद सामने आए हैं, जिससे कानून की समीक्षा जरूरी हो गई थी।

क्यों लाया गया वक्फ संशोधन कानून 2025?

1. “एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ” सिद्धांत का अंत

इस विचारधारा के कारण एक बार वक्फ घोषित संपत्ति को कभी भी वापस नहीं लिया जा सकता था, जिससे कई कानूनी और सामाजिक विवाद पैदा हुए।

2. वक्फ संपत्तियों का अधूरा या गलत सर्वेक्षण

  • कई राज्यों में सर्वे अभी तक शुरू ही नहीं हुआ है।

  • गुजरात, उत्तराखंड जैसे राज्यों में कोई प्रगति नहीं।

  • उत्तर प्रदेश में 2014 में शुरू हुआ सर्वे आज भी लंबित है।

  • वक्फ बोर्ड और राजस्व विभाग के बीच समन्वय की भारी कमी।

3. कानूनी पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी की कमी

पूर्व कानून में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी, जिससे न्याय की संभावनाएं सीमित हो जाती थीं।

4. वक्फ अधिनियम की धारा 40 का दुरुपयोग

कुछ वक्फ बोर्डों ने निजी संपत्तियों को जबरन वक्फ घोषित कर कानूनी लड़ाइयों और सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया। इस धारा को व्यापक रूप से दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार माना गया है।

5. संवैधानिक वैधता पर सवाल

दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें पूछा गया है कि क्या केवल एक धर्म पर आधारित कानून संविधान के अनुरूप है?

वक्फ अधिनियम 1995 बनाम संशोधित वक्फ अधिनियम 2025

श्रेणी वक्फ अधिनियम 1995 संशोधित अधिनियम 2025
वक्फ का निर्माण घोषणा, उपयोग या बंदोबस्ती द्वारा केवल घोषणा और बंदोबस्ती द्वारा; दानकर्ता कम से कम 5 वर्ष से मुस्लिम होना चाहिए
सरकारी संपत्ति अस्पष्ट सरकारी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता
वक्फ सर्वेक्षण सर्वे आयुक्त के तहत अब कलेक्टर द्वारा, राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार
केंद्रीय वक्फ परिषद सभी सदस्य मुस्लिम अब दो गैर-मुस्लिम और दो महिलाएं अनिवार्य
राज्य वक्फ बोर्ड दो मुस्लिम सांसद/विधायक अब गैर-मुस्लिम, शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी समुदाय शामिल
न्यायाधिकरण मुस्लिम कानून विशेषज्ञ शामिल अब जिला न्यायाधीश व संयुक्त सचिव, मुस्लिम विशेषज्ञ नहीं
उच्च न्यायालय में अपील सीमित दायरा अब 90 दिनों के भीतर अपील की अनुमति
केंद्र सरकार की शक्ति सीमित अब पंजीकरण, ऑडिट और नियम बनाने का अधिकार

 क्रियान्वयन की चुनौतियाँ

राज्य सरकारों के सामने बड़ी जिम्मेदारी है:

  • वक्फ संपत्तियों का सटीक और पारदर्शी सर्वेक्षण कराना

  • वक्फ से होने वाली आय का सही उपयोग सुनिश्चित करना

  • वक्फ बोर्डों में सामाजिक समावेश और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना

  • पुराने विवादों का समाधान न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से करना

  • डिजिटल रिकॉर्डिंग और पारदर्शी ऑडिटिंग की व्यवस्था करना

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 एक ऐतिहासिक कदम है, जो धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने का वादा करता है। लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि राज्य सरकारें इसे कितनी गंभीरता और निष्पक्षता से लागू करती हैं।

अगर इसका राजनीतिक दुरुपयोग रोका गया और कानून की भावना के अनुरूप काम हुआ, तो यह कानून गरीब मुसलमानों, महिलाओं और बच्चों के कल्याण में मील का पत्थर साबित हो सकता है।


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